Tuesday, October 19, 2010

एक यात्रा --४------आगे

यह जीवन
जन्म से मृत्यु की नहीं ,
जन्म से मोक्ष तक की यात्रा है ।
सोच मानव क्या तू जग में आया ,
थोडा हंसने या फिर रोने को ?
दुःख सुख में लिप्त हो
फिर मर जाने को ?
तू आया नहीं केवल मरने को ,
मानव तन अमरत्व पाने का माध्यम है ।
संतों ने किया आह्वान ,
जाग जाग मानव
तूने पाया जीवन का वरदान ,
अपने चिर लक्ष को पहचान ,
अमरत्व फैलाये बाहें
तेरी प्रतीक्षा में हैं
जीवन तो इसे पा लेने की साधना है ।
यह संतों की वाणी
उनका आत्मानुभव ,अपरोक्षानुभूति भी ,
जीवन संघर्ष नहीं ,परम शांति भी ,
असंतोष ही नहीं ,नित्य तृप्ति भी ,
दुःख ही नहीं ,आनंद भी
जीवन का लक्ष्य परम शांति को प् जाना हैं ॥

3 comments:

  1. जीवन संघर्ष नहीं ,परम शांति भी ,
    असंतोष ही नहीं ,नित्य तृप्ति भी ,
    दुःख ही नहीं ,आनंद भी
    जीवन का लक्ष्य परम शांति को प् जाना हैं ॥

    ----

    यही है जीवन -दर्शन ।

    .;

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  2. जीवन -दर्शन को बताती एक भावमय कविता

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  3. साचा जीवन दर्शन .... बहुत सुंदर शब्द हैं ...

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