Tuesday, June 30, 2009

वरदान दो

तुम्हारे चरणों में ,एक पुष्प चढा सकूँ
महक इसमें अमित आभार की है ,
रंग प्यार का है ,
पखुडी पंखुडी इसकी श्रधा और सत्कार की है ।
वरदान दो--इस महक को हर कलि हर पुष्प में पहुँचा सकूँ ॥

तुम्हारे चरणों में ,एक दीप जला सकूँ ,
लौ इसमें ,तुम्हारे दिए ज्ञान की है ,
तेल प्रभु नाम का है ,
बाती बाती में भावना स्नेह और सम्मान की है ,
वरदान दो --दीप तुम्हारे मान का सारी दुनिया में जला सकूँ ॥

तुम्हारे चरणों में ,सदा शीश झुका सकूँ ,
हर साँस अब तेरे नाम की है ,
हर कदम प्रभु धाम का है ,
तेरी साधना ही मंजिल मेरे हर काम की है ,
वरदान दो --तुम्हारी दिखाई राह पर शेष जीवन बिता सकूँ ॥

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