Monday, September 27, 2010

एक यात्रा -----3

गुरुदेव ने गुरुमहाराज की जनम तिथि को कई जगह बहुत भाव पूर्ण वर्णित किया है । आइये कुछ भाव आत्मसात करें ----गुरु की जनम तिथि एक स्वर्ण दिवस
प्रतेयक साधक के लिए एक वरदान
इसकी अभिन्नता का
सृष्टि में विशिष्ट स्थान
विशेषता इसकी समझो
भक्त भाव से फैला अंजलि स्वीकारो
पाया तुमने अमूल्य दान ।
इस दिन का हर पल हर घडी
दिव्य भावनायों में
उच्च विचारों में जीयो ।
सूर्यास्त तक नाप लो नई उचाइयां
मानव --अस्तित्व के उदेश्य की करो पहचान ।
समृद्ध है यह दिवस
तुम समृद्ध करो जीवन को
यह आदर्शों से पूर्ण है ,संपन्न है ,
उतारो इन्हें अपने प्रति दिन में
बनायो जीवन एक वरदान ।
लक्ष्य हो ,
लक्ष्य पा लेने तक की निरंतर उड़ान ॥

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