एक फरियाद -------एक विश्वास
तुम दाता हो ,तभी तो तुमसे मांगती हूँ
इस नए वर्ष में एक सौगात चाहती हूँ ।
एक फरियाद तुम्हारे चरणों में ------
मुझे वह आँख दे
जो बिन बहे आन्सुयों को देखे ,
वह कान दे
जो किसी के मौन क्रंदन को सुन सके ।
मुझे वह हाथ दे
जिनका स्पर्श ही दर्दे दावा बने
वह मन दे
जो अनजाने बेगानों को भी गले लगा सके ।
मुझे वह पैर दे
जो बिन चले तुझे पा ले
तू दाता मैं भिखारी
भला यहाँ से क्या कोई खाली जा सके ॥
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मुझे वह हाथ दे
ReplyDeleteजिनका स्पर्श ही दर्दे दावा बने
वह मन दे
जो अनजाने बेगानों को भी गले लगा सके ...
नये साल में बहुत अच्छी दुवा माँगी है आपने ......... भगवान सब को इतना सामर्थ दे ....... बहुत सुंदर लिखा है .... आपको नया साल बहुत बहुत मुबारक ........
एक ऎसी आंख की चाह जो उन आंसुओं को देख सकें जो बह तो रहे हैं पर दिखाई नही दे रहे... ऎसे कानो की चाह जिनसे मन के उन क्रंदनों को सुना जा जके जिन्हे किसी के द्वारा जानबूझ कर अभिव्यक्त नही किया जा रहा हो ...बेहद प्रभावशाली व सारगर्भित रचना है,हर एक के द्वारा सराही जायेगी, बधाई !!!!!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार
सुंदर कामनाएँ हैं ।
ReplyDeleteमुझे वह हाथ दे
ReplyDeleteजिनका स्पर्श ही दर्दे दावा बने
वह मन दे
जो अनजाने बेगानों को भी गले लगा सके ।
अगर यह हमारे जीवन का उद्द्येश्य हो जाये , तो समाज की तस्वीर ही बदल जाये. बेहतरीन रचना है.
Naye varsh ki isse behtar kya shuruat ho sakti hai.
ReplyDeletesundar rachna ..............
ReplyDeleteवाह... जीवन के मूल्यों की पथप्रदर्शिका सुन्दर रचना.....
ReplyDeleteमुझे वह आँख दे
ReplyDeleteजो बिन बहे आन्सुयों को देखे ,
वह कान दे
जो किसी के मौन क्रंदन को सुन सके
AAMEEN!!
waah, bahut hi badhiyaa
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