गुरु शरण में रहकर ,साधक का
हो जाए अगर मन उदास
तो जान लो साधना में हुई कमीं कहीं ।
सीधी राह पर चलते चलते
डगमगाएं पग ,गति में आए अवधान
तो समझ लो पग में चुभा कोई शूल कहीं ।
दीप जलाया मन्दिर में भक्त नें
अगर हुआ अंधेरों का एहसास
तो मान लो आराधना में हुई चूक कहीं ।
जप करते करते मन भटकता हो
किसी शोर से भरा हो पूरा आसपास
तो जान लो प्रार्थना की यह रीत नहीं ।
ध्यान में बैठा हो जब मुमुक्षु
एकाकी पण का होने लगे आभास
तो समझ लो उपासना में हुई भूल कहीं ।
बुद्धि स्वाध्याय का मनन करती हो
मन में उठते हो हजारों सवाल
तो मान लो प्रकाश होने में देर कहीं ।
कभी मन एकाएक प्रसन्न हो जाए
चारों और फूलों की महक आए ख़ास
तो पहचान लो प्रभु तेरे एकदम पास हैं यहीं ॥
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Hi pleased to meet thee, Id appreciate your comments on this thing what I wrote within the realm of my blog
ReplyDeleteकभी मन एकाएक प्रसन्न हो जाए
ReplyDeleteचारों और फूलों की महक आए ख़ास
तो पहचान लो प्रभु तेरे एकदम पास हैं यहीं ॥
Guru chrnon ka aashirvaad hai aapke pas .....
ध्यान में बैठा हो जब मुमुक्षु
ReplyDeleteएकाकी पण का होने लगे आभास
तो समझ लो उपासना में हुई भूल कहीं
अद्भुत रचना है आपकी...नमन आपकी लेखनी को...सच को उजागर करतीं पंक्तियाँ मन को भीतर तक छू गयीं हैं...वाह.
नीरज
तो जान लो
ReplyDelete* साधना में हुई कमीं कहीं ।
* पग में चुभा कोई शूल कहीं ।
* आराधना में हुई चूक कहीं ।
* प्रार्थना की यह रीत नहीं ।
* उपासना में हुई भूल कहीं ।
* प्रकाश होने में देर कहीं ।
* प्रभु तेरे एकदम पास हैं यहीं ॥
ज्ञान की उपरोक्त पाठ-सार लिख कर रख लिए.
एक अच्छी कविता के माध्यम से सुन्दर सन्देश को प्रवाह मिल गया.
बधाई.
चन्द्र मोहन गुप्त
जयपुर
www.cmgupta.blogspot.com
बुद्धि स्वाध्याय का मनन करती हो
ReplyDeleteमन में उठते हो हजारों सवाल
तो मान लो प्रकाश होने में देर कहीं ।
कभी मन एकाएक प्रसन्न हो जाए
चारों और फूलों की महक आए ख़ास
तो पहचान लो प्रभु तेरे एकदम पास हैं यहीं ॥
beautiful!
सच कहा ........ मन में आनंद की प्राप्ति होती है saadhna में ....... लाजवाब सार्थक कहा है ........
ReplyDeleteसुंदर प्रस्तुति, साधक और प्रभु मिलन के सुंदर संकेत ।
ReplyDeleteबधाई
अच्छी प्रस्तुति....बहुत बहुत बधाई...
ReplyDeleteमैनें अपने सभी ब्लागों जैसे ‘मेरी ग़ज़ल’,‘मेरे गीत’ और ‘रोमांटिक रचनाएं’ को एक ही ब्लाग "मेरी ग़ज़लें,मेरे गीत/प्रसन्नवदन चतुर्वेदी"में पिरो दिया है।
आप का स्वागत है...
जप करते करते मन भटकता हो
ReplyDeleteकिसी शोर से भरा हो पूरा आसपास
तो जान लो प्रार्थना की यह रीत नहीं ।
बहुत सुन्दर प्रस्तुति
Singamaraja reading your blog
ReplyDeleteman prasann ho to prabhu pass hi hai
ReplyDeletebahut khoob
कभी मन एकाएक प्रसन्न हो जाए
ReplyDeleteचारों और फूलों की महक आए ख़ास
तो पहचान लो प्रभु तेरे एकदम पास हैं यहीं ॥
बहुत सुन्दर सही है प्रभू के स्नेह से ही उमंग उपजती है अच्छी रवना के लिये बधाई
दीप जलाया मन्दिर में भक्त नें
ReplyDeleteअगर हुआ अंधेरों का एहसास
तो मान लो आराधना में हुई चूक कहीं ।
bahut hi sanyamta se zindagi ki barikiyon ko sameta hai
डॉ. प्रेम ,
ReplyDeleteफूलों की महक और प्रभु की नज़दीकी अच्छी लगी .
अगर तूफ़ान में जिद है ... वह रुकेगा नही तो मुझे भी रोकने का नशा चढा है ।
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