इस पुरातन सत्ता
और आधुनिक जीव की
बन कड़ी इनके बीच की
हमारे गुरु महाराज
श्री स्वामी शिवानन्द जी आये
मानव के दिव्य सौभाग्य का
अस्तित्व समझाने आये
कैसे ज्ञान बोध को पाए
कैंसे पाए दिव्य स्थान को
जो कर दुखों से दूर हमें
देता सुख सम्मान को
यह दिव्यता हमारा मूल स्वभाव है।
ऐसे ज्योति पुंज मार्ग दर्शक को हमारा प्रणाम है ॥
वह मानव के
अन्तः करण की आवाज़ थे
सन्देश थे ,सन्देश वाहक भी ,
मानव को पुकारा
प्रेरणा दी
जागृत किया
सुर भी दिया और साज़ भी
स्वर दिया और संगीत भी
वह माध्यम थे ,शक्ति भी
उस ब्र्हात्मा और आत्मा के बीच की
उनकी अध्यात्मिक उपस्थिति
आज भी हमारे पथ की प्रेरणा है प्रकाश है ।
ऐसे माननीय प्रेरणा दायक को हमारा प्रणाम है ॥
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ब्र्हात्मा और आत्मा के बीच की
ReplyDeleteउनकी अध्यात्मिक उपस्थिति
achha laga is ujaale me